Saturday, 21 March 2015

                                      झाँसी क रानी

संहासन हल उठे राजवंश ने भृकुट तानी थी,
बूढ़े भारत म  आई #फर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ाद क) क)मत सबने पहचानी थी,
दूर #फरंगी को करने क) सबने मन म  ठानी थी।

चमक उठ. सन स/तावन म , वह तलवार पुरानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

कानपूर के नाना क), मँुहबोल बहन छबील थी,
ल6मीबाई नाम, 7पता क) वह संतान अकेल थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेल थी,
बरछ. ढाल, कृपाण, कटार उसक) यह सहेल थी।

वीर शवाजी क) गाथाय  उसक) याद ज़बानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

ल6मी थी या दुगा3 थी वह ;वयं वीरता क) अवतार,
देख मराठे पुल#कत होते उसक) तलवार के वार,
नकल यु<->यूह क) रचना और खेलना खूब शकार,
सैAय घेरना, दुग3 तोड़ना ये थे उसके 7Cय Dखलवार।

महाराEटर-कुल-देवी उसक) भी आराFय भवानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

हुई वीरता क) वैभव के साथ सगाई झाँसी म ,
Gयाह हुआ रानी बन आई ल6मीबाई झाँसी म ,
राजमहल म  बजी बधाई खु शयाँ छाई झाँसी म ,
सुभट बुंदेल क) 7वIदाव ल सी वह आयी झांसी म ,
JचKा ने अजु3न को पाया, शव से मल भवानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

उ दत हुआ सौभाMय, मु दत महल म  उिजयाल छाई,
#कंतु कालगOत चुपके-चुपके काल घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर म  उसे चूPड़याँ कब भाई,
रानी 7वधवा हुई, हाय! 7वJध को भी नह ं दया आई।
Oनसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

बुझा द प झाँसी का तब डलहौज़ी मन म  हरषाया,
राTय हड़प करने का उसने यह अUछा अवसर पाया,
फ़ौरन फौज  भेज दुग3 पर अपना झंडा फहराया,
लावाWरस का वाWरस बनकर XY टश राTय झाँसी आया।
अZुपूणा3 रानी ने देखा झाँसी हुई Xबरानी थी,
बुंदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

अनुनय 7वनय नह ं सुनती है, 7वकट शासक क) माया,
>यापार बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं न>वाब को भी उसने पैर ठुकराया।
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

Oछनी राजधानी द\ल क), लखनऊ छ.ना बात -बात,
कैद पेशवा था Xबठुर म , हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा, करनाटक क) कौन Xबसात?
जब#क संध, पंजाब Y_म पर अभी हुआ था व`-Oनपात।
बंगाले, मaास आ द क) भी तो वह कहानी थी,
बुंदेले हरबोल के मँुह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

रानी रोयीं Wरनवास म , बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े Xबकते थे कलक/ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंcेज़ के अखबार,
'नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।
य परदे क) इfज़त परदेशी के हाथ Xबकानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

कु टय म  भी 7वषम वेदना, महल म  आहत अपमान,
वीर सैOनक के मन म  था अपने पुरख का अ भमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
ब हन छबील ने रण-चgडी का कर दया Cकट आहवान।
हुआ यh Cारiभ उAह  तो सोई TयोOत जगानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

महल ने द आग, झ पड़ी ने Tवाला सुलगाई थी,
यह ;वतंKता क) Jचनगार अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, द\ल चेती, लखनऊ लपट  छाई थी,
मेरठ, कानपूर, पटना ने भार धूम मचाई थी,
जबलपूर, को\हापूर म  भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

इस ;वतंKता महायh म  कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँOतया, चतुर अज़ीमु\ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कँुवर सहं सैOनक अ भराम,
भारत के इOतहास गगन म  अमर रह गे िजनके नाम।
ले#कन आज जुम3 कहलाती उनक) जो कुरबानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

इनक) गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदान म ,
जहाँ खड़ी है ल6मीबाई मद3 बनी मदा3न म ,
लेिkटन ट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवान म ,
रानी ने तलवार खींच ल , हुया lवA< असमान म ।
ज़mमी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

रानी बढ़ कालपी आई, कर सौ मील Oनरंतर पार,
घोड़ा थक कर Jगरा भू म पर गया ;वग3 त/काल सधार,
यमुना तट पर अंcेज़ ने #फर खाई रानी से हार,
7वजयी रानी आगे चल द , #कया Mवा लयर पर अJधकार।
अंcेज़ के मK संJधया ने छोड़ी रजधानी थी,
बुंदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

7वजय मल , पर अंcेज़ क) #फर सेना Oघर आई थी,
अबके जनरल ि;मथ सiमुख था, उसने मुहँ क) खाई थी,
काना और मंदरा सDखयाँ रानी के संग आई थी,
यु< ZेK म  उन दोन ने भार मार मचाई थी।
पर पीछे _यूरोज़ आ गया, हाय! Oघर अब रानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैAय के पार,
#कAतु सामने नाला आया, था वह संकट 7वषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने म  आ गये अवार,
रानी एक, शKु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।
घायल होकर Jगर संहनी उसे वीर गOत पानी थी,
बुंदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

रानी गई सधार Jचता अब उसक) द>य सवार थी,
मला तेज से तेज, तेज क) वह सUची अJधकार थी,
अभी उn कुल तेइस क) थी, मनुज नह ं अवतार थी,
हमको जी7वत करने आयी बन ;वतंKता-नार थी,
दखा गई पथ, सखा गई हमको जो सीख सखानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

जाओ रानी याद रख गे ये कृतh भारतवासी,
यह तेरा ब लदान जगावेगा ;वतंKता अ7वनासी,
होवे चुप इOतहास, लगे सUचाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती 7वजय, मटा दे गोल से चाहे झाँसी।
तेरा ;मारक तू ह होगी, तू खुद अ मट Oनशानी थी,
बंुदेले हरबोल के मँुह हमने सनु ी कहानी थी,
खूब लड़ी मदा3नी वह तो झाँसी वाल रानी थी।।

                                                               -- सुभा कुमार चौहान

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