हो गई है पीर पर्वत-सी हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने...
Wednesday, 18 November 2015
Monday, 16 November 2015
Sunday, 26 July 2015
Mat Kaho Akash Mein Kuhra Ghana Hai
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से, क्या करोगे,सूर्य का क्या देखना है। इस ...
नर हो न निराश करो
नर हो न निराश करो मन को कुछ काम करो कुछ काम करो जग में रहके निज नाम करो यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो कुछ तो उप...
Thursday, 2 April 2015
अपराजिता Aparajita
शांति छिन्न भिन्न हो, हृदय भले खिन्न हो, जीवन के अँधेरे-उजास में, असफल प्रयास में, आस पराजित नहीं है, और अपराजिता हूँ मैं | ...
ऐसी लगती हो Esi Lagti ho tum
अगर कहो तो आज बता दूँ मुझको तुम कैसी लगती हो। मेरी नहीं मगर जाने क्यों, कुछ कुछ अपनी सी लगती हो। नील गगन की नील कमलिनी, ...
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